शादी अब रियलिटी शो है, ड्रामा, सस्पेंस, और कभी-कभी क्राइम थ्रिलर का तड़का

 

विजय शंकर पांडेय 


वह एक युद्ध है जो स्त्री और पुरुष के बीच हमेशा चलता रहता है, जिसे बहुत लोग प्रेम कहकर पुकारते हैं। यह दर्शाता है कि प्रेम में हमेशा एक संघर्ष, एक खिंचाव, और एक अनिश्चितता होती है। यह एक ऐसा युद्ध है, जिसमें दोनों पक्ष एक-दूसरे को जीतने की कोशिश करते हैं, या कम से कम एक-दूसरे को समझने की कोशिश तो करते ही हैं।  








वह उसे देखती है—बिल्कुल वैसे, जैसे कोई रानी अपने बंदी को देखे। वह मुस्कुराता है—जैसे कोई बंदी, जिसे लग रहा हो कि रानी पिघल गई। यहीं पहली ग़लती होती है। प्रेम शुरू नहीं होता, रणनीति शुरू होती है। "क्या हुआ?"—वह पूछती है। "कुछ नहीं!"—वह कहता है। और तभी से उसके मन में कुछ होना शुरू हो जाता है। वह चैट में आख़िरी 'Seen' नोट करता है। वह आख़िरी 'Emoji' के मतलब तलाशती है। वह सोचती है—"कितना बदल गया है ये।" 


वह सोचता है—"ये पहले जैसी क्यों नहीं रही?" कभी वह जीते, तो कहती—"मैंने जीतने दिया!" कभी वह हारी, तो कहती—"तुम तो वैसे भी हारने लायक ही हो!" और फिर, दोनों स्टेटस लगाते हैं—"Love is war." लेकिन DM में फिर से 'Hi' भेजते हैं। क्योंकि युद्ध विराम या सीजफायर भी एक रणनीति है। 


मगर रियलिटी शो है, जहां ड्रामा, सस्पेंस, और कभी-कभी क्राइम थ्रिलर का तड़का भी लग रहा है! 36 दिन में पति पसंद नहीं आया? कोई बात नहीं, मुर्गा-चावल में कीटनाशक डाल दो, "खाना तो बनाया था, प्यार से!" हनीमून? वो तो अब रोमांस कम, रंजिश ज्यादा है—कभी ड्रम में पति, कभी सूटकेस में पत्नी! शादी का बाजार गर्म है, बस प्रेम ठंडा पड़ गया। पहले रिश्ते निभाए जाते थे, अब तो रील्स बनाए जाते हैं। "शादी के 10वें दिन पति का खर्राटा बर्दाश्त नहीं हुआ, तलाक!" या "पत्नी ने मेरी बिरयानी खा ली, अब कोर्ट में मिलेंगे!" सोशल मीडिया पर हैशटैग ट्रेंड करता है—#ShaadiKaScandal। 


बेचारी शादी, जो कभी सात जन्मों का बंधन थी, अब सात दिन का चैलेंज बन गई। विवाह – अब एक ‘क्राइम थ्रिलर’ का हिस्सा है! सात जन्मों का बंधन अब ये "पैकेज डील" है – जिसमें डीजे, डेकोरेशन और डाइवोर्स सब इन-बिल्ट है। पहले घरवाले जोड़ी बनाते थे, अब ऐप बनाते हैं। स्क्रीन पर जो ‘मैच’ होता है, हनीमून तक पहुंचते-पहुंचते "मिसमैच" हो जाता है। अब लव स्टोरी को मर्डर मिस्ट्री में बदलने का फैशन है! प्रेम विवाह भी अब पाव-भाजी जैसा हो गया है – जितनी चीजें डालोगे, उतना उलझेगा। 


नवविवाहित जोड़े अब रिश्ते नहीं, कंटेंट बना रहे हैं। पहले ड्रम पर बारात चढ़ती थी, अब ड्रम में पति उतरता है। हनीमून की तस्वीरें पहले वायरल होती हैं, फिर FIR। किसी ज़माने में शादी एक जिम्मेदारी थी। 


अब इंस्टाग्राम रील है – "पहले शादी, फिर कांड!" तलाक अब गाली नहीं, "बैचेलर रिबूट" कहलाता है। सच कहें तो आजकल की शादी में दुल्हन की मुस्कान और नीयत – दोनों मेकअप जैसी लगती हैं। उतरते ही असली रंग सामने आ जाता है। विवाह अब संस्कार नहीं, "सस्पेंस थ्रिलर" है – जिसमें दूल्हा-­दुल्हन दोनों संदिग्ध हैं!

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