तो बिकिए, लेकिन मुस्कान के साथ

विजय शंकर पांडेय 


अब इंसान नहीं, कस्टमर कहिए। 

नाम नहीं, बारकोड से पहचानिए। 

सुबह उठिए और डिस्काउंट में खुद को बेचिए।

ब्रश से लेकर ब्रेन तक सब 'ब्रांडेड' है।



भावनाएं? ओह, वो भी सब्सक्रिप्शन बेस्ड हैं।

माँ की ममता अब कैशबैक में मिलती है,

और दोस्ती—फ्री डिलीवरी के साथ आती है।


"सोचो मत, खरीद लो"—ये नया मंत्र है।

आदर्श नहीं, ऑफर बदलते हैं हर सीज़न।

यहां आत्मा नहीं, ईएमआई में बिकती है ज़िंदगी।


जन्म से पहले 'बेबी केयर बकेट',

मृत्यु के बाद 'मोक्ष पैकेज'।


आप आज़ाद हैं, लेकिन टर्म्स एंड कंडीशंस लागू हैं।

जो विरोध करें, वे यूज़र एक्सपीरियंस खराब कर रहे हैं।


तो बिकिए! लेकिन मुस्कान के साथ।

क्योंकि आख़िर में, कस्टमर इज़ गॉड,

और आप? बस उसकी इनवॉइस।





कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.