जब कन्फ्यूज हो गए यमराज भी

 व्यंग्य

हॉलीवुड की फिल्म “फाइनल डेस्टिनेशन” जैसी स्क्रिप्ट  

विजय शंकर पांडेय 

मध्यप्रदेश के एक जिले में जब रानी 29 बार और राजू 28 बार सांप के काटने से मरे, तो यमराज भी कन्फ्यूज हो गए – “ये आत्माएं तो बार-बार मेरे पास आ जाती हैं, फिर भाग जाती हैं! क्या कोई ‘रिटर्न पॉलिसी’ शुरू हो गई है ऊपर?” 



किसी को तो सांप ने इतना प्यार किया कि 12 बार काटा!

गाँव वालों ने तो नया खेल शुरू कर दिया है – 'मौत का लकी ड्रा'! हर शुक्रवार को पर्ची डाली जाती है – किसका नंबर है इस बार मरने का? रामू काका बोले – “अबकी बार तो मैं ही मरूंगा! पिछली बार बबलू को ₹4 लाख मिले थे, वो तो नई बाइक लेकर शहर घूम रहा है!” सबसे दिलचस्प बात ये रही कि किसी को कुएं में गिरा कर मारा, किसी को बिजली के तार से, और किसी को तो सांप ने इतना प्यार किया कि 12 बार काटा! अब सांप भी गूगल पर सर्च कर रहा है – “MP में सबसे इमोशनल इंसान कौन है?” क्योंकि भाई, 12 बार काटने के बाद भी जिन्दा! ये तो टाइगर श्रॉफ के स्टंट्स से भी भारी निकला!


आत्मा तो चली जाती थी बैंक में चेक भुनाने

रिपोर्ट के अनुसार, 47 लोगों की 280 मौतें दर्ज की गईं। मतलब एक व्यक्ति औसतन 6 बार मरा! इससे सरकार को 11 करोड़ 26 लाख रुपये की चपत लगी। अब ये तो हॉलीवुड की “फाइनल डेस्टिनेशन” जैसी स्क्रिप्ट लग रही है – मौत आती है, पर स्थायी नहीं रहती। और जो भी मरता था, सरकार उसकी आत्मा को श्रद्धांजलि के साथ ₹4 लाख देती थी। आत्मा तो चली जाती थी बैंक में चेक भुनाने! अब इन पैसों का क्या किया गया? गाँव के पान वाले से लेकर मोबाइल रीचार्ज वाले तक के दिन फिर गए। पप्पू ने तो अपने भैंसे को स्पीकर बांध दिया – “कहीं पार्टी हो तो सीधे खेत में आ जाए।” जब मीडिया ने पूछा कि “रानी जी, आप 29 बार कैसे मरीं?”, तो वो बोलीं – “हम भी कन्फ्यूज हैं बेटा, हर बार लगता है ये आखिरी बार है, पर सरकार को हमारा जीवन ज्यादा ही कीमती लगता है।”


जहाँ घोटाला, वहीं पैसा बेहिसाब

जब छानबीन शुरू हुई, तो पता चला – इसमें कई सरकारी मुलाजिम मिले हुए हैं। हर मौत की स्क्रिप्ट वहीं लिखी जाती थी – लोकेशन, डेथ रीजन, और फोटोशॉप्ड फोटो के साथ! अब सरकार सोच में पड़ गई है – “आखिर इतनी मौतों के बाद भी कोई रो क्यों नहीं रहा?” जवाब सीधा है – क्योंकि हर मौत, नई बाइक या प्लॉट लेकर आई है! कहते हैं न – जहाँ चाह वहाँ राह, पर यहाँ तो – जहाँ घोटाला, वहीं पैसा बेहिसाब। 


यमराज प्रधानमंत्री कार्यालय को चिट्ठी लिखेंगे!

हालात यूं बने रहे तो किसी दिन यमराज प्रधानमंत्री कार्यालय को चिट्ठी लिखेंगे। “कृपया MP के इन गाँवों को मेरे क्षेत्र से बाहर कर दीजिए, मैं भी थक गया हूँ – एक ही आत्मा को बार-बार रजिस्टर में दर्ज करते-करते।” और हम? हम अब डरते हैं कि कहीं भविष्य में मृत्यु प्रमाण पत्र पर OTP न आने लगे – “कृपया मरने के लिए 123456 दर्ज करें!” देश बदल रहा है, अब मौत भी फॉर्मेट में होती है – डाउनलोड करो, भरो, मर जाओ... या ज़िंदा रहकर भी कुछ कमा लो!

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