विजय शंकर पांडेय
भस्मासुर को शिव वरदान मिला था। वह जिसे छुएगा, वही भस्म हो जाएगा। भस्मासुर ने सोचा, "बस, अब तो मैं अजेय हूँ!" लेकिन उसने यह नहीं सोचा कि वरदान की चमक में अक़्ल का दीया बुझ सकता है। नौबत यहां तक आ गई कि स्वयं भगवान शिव को भस्मासुर के डर से छिपना पड़ा। कुछ ऐसा ही नज़ारा आजकल हमारे देश की सियासत में दिख रहा है, जहाँ ऑपरेशन सिंदूर की गूँज और तिरंगा यात्रा की धूम के बीच कुछ लोग भस्मासुर बनकर सब कुछ भस्म करने पर तुले हुए हैं।
ऑपरेशन सिंदूर! नाम सुनते ही सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। भारतीय सेना ने आतंकियों को धूल चटाई और सरकार ने विपक्ष को साथ लेकर एकता का ऐसा चटक रंग जमाया कि दुनिया देखती रह गई। विदेश सचिव विक्रम मिस्री, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐसा मास्टर स्ट्रोक मारा कि संदेश सीधा दुश्मन के दिल तक को भेद गया। सोशल मीडिया तक गूंज सुनाई पड़ने लगी। लोग कहने लगे, "वाह! ये है असली भारत!" लेकिन तभी, जैसे भस्मासुर ने शिवजी को ही निशाना बना दिया। कुछ बयानवीर नेताओं ने इस सुनहरे मौके पर सारे किए कराए पर पानी फेरने की ठान ली।
इसमें टॉप पर रहे विदेश मंत्री एस जयशंकर। अब जयशंकर जी को कौन नहीं जानता? उनकी कूटनीति की दुनिया कायल है। लेकिन इस बार उनका बयान ऐसा था, मानो कोई अंतरराष्ट्रीय मंच पर "चाय पे चर्चा" करने चला गया हो। लगा जैसे सारा डिप्लोमैटिक बैलेंस चुटकी में ही उड़ा दिया हो। बेतुका बयान, किरकिरी होनी ही थी। विपक्ष ने मौका लपका और सरकार को घेरना शुरू कर दिया।
लेकिन ये तो बस शुरुआत थी। मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह ने ऐसा बयान दे मारा कि लगा, भस्मासुर की आत्मा उन पर हावी हो गई हो। कर्नल सोफिया कुरैशी पर उनकी टिप्पणी ने सारा गुड़ गोबर कर दिया। सोशल मीडिया पर लोग बोले, "अरे भाई, सेना को तो बख्श दो!" इधर, भाजपा ने सोचा, "चलो, सेना के शौर्य का तिरंगा यात्रा से बखान करें।" वैसे इसे आपदा में अवसर भी माना जा रहा है। क्योंकि सामने चुनाव है। बहरहाल भाजपा नेतृत्व इस तरह की अदाओं के लिए मशहूर है।
देशभर में तिरंगे लहराए, नारे गूँजे। लेकिन डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने ऐसा बयान दे दिया कि लगा, सेना का शौर्य नहीं, बल्कि सियासत का झंडा गाड़ रहे हैं। उन्होंने सेना को सीधे प्रधानमंत्री के चरणों में नतमस्तक करवा दिया। अरे भैया, सेना देश की है, किसी की जागीर थोड़े ही है। और तो और, एक भाजपा विधायक ने तिरंगे से मुँह पोंछ लिया। बस, अब क्या था? सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ आ गई। नेशनल ट्रेंड बन गया, "तिरंगे का टिश्यूकरण।"
तो साहब, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का जश्न मनाने निकले थे, लेकिन कुछ लोग भस्मासुर बनकर सब भस्म करने पर उतारू हो गए। सियासत का ये तमाशा देखकर लगता है, शिवजी को फिर से विष्णुजी के मोहिनी अवतार की जरूरत पड़ेगी, वरना ये भस्मासुर अपने ही घर को भस्म कर डालेंगे। चलते चलते एक बात समझ से परे है, आपरेशन सिंदूर के नाम पर भाजपा के नैरेटिव को एक पर एक भाजपा नेता ही क्यों भटका रहे हैं?
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