ट्रंप राजनीति नहीं करते, रिएलिटी शो चलाते हैं

 विजय शंकर पांडेय 


सच पूछिए तो ट्रंप साहब राजनीति नहीं करते, वो रिएलिटी शो चलाते हैं। ट्वीट में स्क्रिप्ट, प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्विस्ट और युद्ध में क्लिफहैंगर! 





सुबह उठते हैं तो ईरान दुश्मन होता है, दोपहर तक बातचीत की मेज सजती है और शाम होते-होते "ग्रेट फ्रेंड" का तमगा दे दिया जाता है। और रात को फिर ट्वीट: उसने मुझे धोखा दिया, दुखद। ट्रंप का हर बयान ऐसा जैसे किसी स्टैंडअप कॉमेडियन का स्क्रिप्ट हो — बस फर्क इतना है कि ये जोक परदे पर नहीं, पेट्रोल के दाम में असर डालते हैं। मोदी जी इस मामले में थोड़े देसी संस्करण हैं। सुबह किसान सम्मान निधि, दोपहर तक टमाटर ₹100 किलो और शाम होते-होते भाषण में “हमने महंगाई पर नियंत्रण पाया है” का जादुई मंतर। दोनों नेता अपने देश के किसानों के लिए इतने चिंतित हैं कि किसान खुद भ्रम में हैं। या यूं कह लीजिए टेंशन में है। 


अब बात चीन की करें तो ट्रंप साहब चीन से व्यापार युद्ध छेड़ते हैं, फिर उसी चीन से डील भी कर लेते हैं। कहते हैं — “चाइना इज चीटर!” और अगले ही दिन: “शी जिनपिंग इज ग्रेट लीडर, माई फ्रेंड।” मोदी जी भी कम नहीं। गलवान के बाद चीन को "उचित जवाब" दिया गया, लेकिन मोबाइल एप बंद करके। सेना से ज्यादा तकलीफ शायद टिक-टॉक वालों को हुई। 


ट्रंप जहां युद्ध से प्यार और व्यापार से तकरार करते हैं, वहीं मोदी जी भाषण से इलाज और चुनाव से उद्धार करते हैं। और जब दोनों साथ आ जाते हैं — तो दुनिया की सबसे बड़ी जलेबी बनती है। ह्यूस्टन में “हाउडी मोदी” और अहमदाबाद में “नमस्ते ट्रंप”। दोनों हाथ हिलाते हैं, जनता हंसती है और पेट्रोल की कीमत चुपचाप बढ़ जाती है। सऊदी का मामला तो दोनों नेताओं के लिए “सब चलता है” क्लब में आता है। 


तेल चाहिए, हथियार चाहिए, आतंक की परवाह किसे? ट्रंप साहब कहते हैं — “हमने डील की, बड़ा फायदेमंद रहा।” मोदी जी कहते हैं — “हमने रणनीतिक साझेदारी की, ऐतिहासिक क्षण है।” और किसान? वो खेत में सोच रहा है, “शायद अगली बार मैं भी अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन जाऊं।” ट्रंप और मोदी, दोनों ही अपने-अपने तरीके से पब्लिक रिलेशन के धुरंधर हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि एक ट्वीट से धमकाता है, दूसरा मन की बात से फुसलाता है। 


आख़िर में, ये दोनों महान नेता हमें एक बात ज़रूर सिखा गए — राजनीति अब न नीति पर टिकी है, न राज पर, बस इवेंट मैनेजमेंट पर टिकी है। 


जय लोकतंत्र! जनता जनार्दन जलेबी की तरह गोल गोल घुमने को अभिशप्त है। बहरहाल पीटीआई की माने तो यदि मौजूदा मतभेद सुलझा लिए जाते हैं, तो भारत और अमेरिका के बीच अंतरिम व्यापार समझौते की घोषणा 9 जुलाई से पहले हो सकती है।

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