विजय शंकर पांडेय
तो वियतनाम ने आखिरकार घुटने टेक दिए! राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ कार्ड, जिसे दुनिया ने शुरू में एक जोकर का ताश समझा था, अब ऐसा लगता है मानो कोई छुपा हुआ इक्का निकल आया हो। 46% टैरिफ की मार पड़ते ही वियतनाम ने हाथ जोड़कर कहा, "बस करो भाई, हम तो अमेरिका के बाजार में अपनी सस्ती चप्पलें और टी-शर्ट बेचने आए थे, ये तो सीधे जेब पर डाका डाल दिया!"
वैश्विक व्यापार के मंच पर ड्रामे की तरह खेली जा रही है नौटंकी
लेकिन सवाल यह है कि क्या ट्रंप का यह टैरिफ तमाचा सचमुच हिट है, या फिर ये बस एक और नौटंकी है जो वैश्विक व्यापार के मंच पर ड्रामे की तरह खेली जा रही है? चलिए, थोड़ा पीछे चलते हैं। ट्रंप ने जब से व्हाइट हाउस में दोबारा कदम रखा, तब से वो टैरिफ को ऐसे इस्तेमाल कर रहे हैं जैसे कोई जादूगर अपने छड़ी को। "अमेरिका फर्स्ट!" का नारा लगाते हुए उन्होंने वियतनाम पर 46% का टैरिफ ठोक दिया।
हमें इस टैरिफ युद्ध का बलि का बकरा क्यों बनाया?
अब वियतनाम, जो पिछले कुछ सालों से चीन का सस्ता विकल्प बनकर अमेरिकी बाजार में छाया हुआ था, अचानक से बेचारा सा मुंह लटकाए खड़ा है। वहां के व्यापारी सोच रहे होंगे, "अरे, हम तो बस नाइकी के जूते और एडिडास की टी-शर्ट सिल रहे थे, हमें इस टैरिफ युद्ध का बलि का बकरा क्यों बनाया?" लेकिन ट्रंप का जवाब बड़ा साफ है— "तुम मेरे सामान पर टैरिफ लगाओगे, तो मैं तुम्हें दोगुना करके दिखाऊंगा। इसे कहते हैं रेसिप्रोकल प्यार!
देखा, मेरे टैरिफ कार्ड की धमक?
"वियतनाम की मजबूरी भी कम मजेदार नहीं। अमेरिकी बाजार उनके लिए सोने की खान है—25% निर्यात वहां जाता है। अब ट्रंप के इस टैरिफ ने उनकी कमर तोड़ दी। खबरें हैं कि वियतनाम ने कहा, "ठीक है, हम अमेरिकी सामानों पर इंपोर्ट ड्यूटी जीरो कर देते हैं, बस हमें बख्श दो!" ये सुनकर ट्रंप शायद अपने सोने जैसे बालों को सहलाते हुए मुस्कुराए होंगे, "देखा, मेरे टैरिफ कार्ड की धमक? मैं बातों से नहीं, शुल्क से शुल्क का जवाब देता हूं।"
अमेरिकी इंडस्ट्री तो अभी भी सोफे पर पड़ी बीयर पी रही है
लेकिन क्या ये वाकई जीत है? या फिर बस एक छोटी मछली को डराकर जाल में फंसाने का खेल?दूसरी तरफ, अमेरिकी उपभोक्ता अब सिर पीट रहे हैं। वियतनाम से आने वाले सस्ते जूते और इलेक्ट्रॉनिक्स अब महंगे हो जाएंगे। वॉलमार्ट में $10 की चप्पल अब $14 की हो गई तो भई, कौन खुश होगा? ट्रंप कहते हैं, "ये सब अमेरिकी इंडस्ट्री को मजबूत करने के लिए है।" लेकिन अमेरिकी इंडस्ट्री तो अभी भी सोफे पर पड़ी बीयर पी रही है, उसे कहां पता कि वियतनाम से उसकी लड़ाई लड़वाई जा रही है।
अगला नंबर किसका है, ये तो वक्त ही बताएगा
उधर, भारत जैसे देश चुपचाप पॉपकॉर्न लेकर बैठे हैं—चीन पर 34%, वियतनाम पर 46%, और हम पर 26% टैरिफ। "अरे, हम तो ठीक हैं न!" कहकर भारतीय व्यापारी एक-दूसरे को आंख मार रहे हैं।तो क्या ट्रंप का टैरिफ कार्ड हिट है? शायद हां, अगर आप इसे वियतनाम के घुटने टेकने से मापें। लेकिन वैश्विक व्यापार का मसाला अभी बाकी है। चीन हंस रहा है, यूरोप जवाबी प्लान बना रहा है, और ट्रंप अपने टैरिफ ताश के पत्तों को मेज पर पटक रहे हैं। ये खेल अभी खत्म नहीं हुआ, दोस्तों—अगला नंबर किसका है, ये तो वक्त ही बताएगा!
08 अप्रैल 2025
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