ट्रंप के चुनावी भजन मण्डली का ढोलकिया पीटर नवारो

विजय शंकर पांडेय 


ट्रम्प के ट्रेड सलाहकार पीटर नवारो ने "भारतीय ब्राह्मणों" पर रूसी तेल खरीद कर मुनाफाखोरी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भारत के ब्राह्मण रूसी तेल से मुनाफा कमा रहे हैं, जिसकी कीमत पूरा भारत चुका रहा है। 




पीटर नवारो का बयान सुनकर तो लगता है कि साहब ने व्हाइट हाउस छोड़कर किसी पंचायत भवन की चाय की दुकान पर बैठना शुरू कर दिया है। 


नवारो ने चेतावनी देते हुए कहा कि रूस और चीन के साथ भारत के बढ़ते संबंध दुनिया के लिए खतरा बन सकते हैं। उन्होंने कहा- भारत, तुम तानाशाहों के साथ मिल रहे हो। चीन ने अक्साई चिन और तुम्हारे कई इलाके पर कब्जा कर लिया। और रूस? जाने भी दो। ये आपके दोस्त नहीं हैं।


यह लाइनें अगर अमेरिका में बोली जाए तो लोग समझेंगे कि साहब नेटफ्लिक्स का कोई नया डार्क कॉमेडी शो प्रमोट कर रहे हैं।


पीटर नवारो "डेथ बाई चाइना" किताब के लेखक भी हैं। यह किताब ट्रंप के पहले कार्यकाल में लिखी गई थी।


अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, सबसे बड़ा सैन्य बल, सबसे ताकतवर टेक्नोलॉजी हब, लेकिन सलाहकार की सोच वही — "जात पात की राजनीति"। 


अब ज़रा सोचिए, ट्रंप अगर भारत के किसी पिछड़े गांव में प्रधानी का चुनाव लड़ें, तो क्या होगा? पहला वादा—"हर किसान को फ्री वॉलमार्ट कार्ड"। दूसरा वादा—"गांव की गलियों में वाई-फाई, और चौपाल पर ट्विटर लाइव"। तीसरा वादा—"टैरिफ नहीं, अब ताड़ी फ्री होगी"।


मतलब, मामला इतना सीधा है कि अमेरिका में फूट डालो और राज करो का फार्मूला काम नहीं कर रहा, तो सोचा—"चलो इंडियन राजनीति का थोड़ा ट्यूशन ले लेते हैं।"


वैसे सच कहें तो पीटर नवारो का बयान सुनकर यही लगता है कि सलाहकार कम, और ट्रंप के चुनावी भजन मण्डली का ढोलकिया ज्यादा हैं।






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