कल्पना कीजिए, एक दिन वैज्ञानिक अपनी प्रयोगशाला से भागते हुए बाहर आए और चिल्लाने लगे, "हमने ब्रेन की मैग्नेटिक तरंगों को टेक्स्ट में बदलने वाली AI बना ली!" सोचिए, अब हमें कुछ भी टाइप करने की जरूरत नहीं, बस सोचिए और वह अपने आप हो जाएगा। शुरुआत में यह बहुत आकर्षक लगेगा, जैसे कोई जादू हो, लेकिन धीरे-धीरे इसके दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं।
सबसे पहले तो यह मजेदार होगा, मान लीजिए ऑफिस में आपको बॉस को गाली देनी हो, तो बस आप सोचिए, "यह बेवकूफ मुझे फिर से ओवरटाइम करवाएगा," और अचानक वह गाली व्हाट्सएप ग्रुप में चली जाए। ओह, यह तो गलती से "सोच" पर क्लिक हो गया, और भेज दिया। शुरुआत में यह सब थोड़ा रोमांचक लगेगा, लेकिन फिर इसका असर भी दिखने लगेगा।
सोचिए, सुबह उठते ही आप सोचेंगे, "चाय बना दो," और AI आपका चाय का ऑर्डर दे देगी। कितना आसान लगता है न! कोई बात नहीं कहेगा, बस मन में सोचिए और सब कुछ अपने आप हो जाएगा। लेकिन धीरे-धीरे यह भी आदत बन जाएगी, और हम लोग बोलने की क्षमता खो देंगे। लोगों को "हां" या "न" कहने के बजाय, वे बस दिमाग में आदेश देंगे और AI उन्हें पूरा कर देगी। हमारी जीभ अब सिर्फ खाने के लिए ही काम करेगी, और फिर भी हम उसे सोचने के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ खाऊंगा, कहने के लिए इस्तेमाल करेंगे।
अब, अगर गलती से कुछ और सोच लिया तो क्या होगा? मान लीजिए, घर में पत्नी के सामने आपने सोचा, "यह साड़ी तो कितनी भद्दी है," और बस उस सोच को AI ने टेक्स्ट कर दिया और सीधे पत्नी को भेज दिया। क्या होगा फिर? घर में एक छोटा सा महाभारत छिड़ जाएगा। या ऑफिस में, आप दिमाग में सोच रहे हैं, "बॉस की शक्ल तो सुअर जैसी है," और वह संदेश भी AI द्वारा सीधा प्रोजेक्टर पर चल जाएगा। सोचिए, आपकी नौकरी कितनी जल्दी जाएगी!
लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि हम धीरे-धीरे काहिल होते जाएंगे। पहले हम हाथ-पैर हिलाते थे, फिर कीबोर्ड पर उंगलियां चलाते थे, अब हम सिर्फ सोचेंगे और AI सब कुछ कर देगी। फिर वह समय आएगा जब लोग "सोचने का श्रम" भी नहीं करेंगे। आने वाली पीढ़ी, जो हमें लगता है कि मेहनत से बचने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है, वह कभी भी अपने दिमाग को काम में नहीं लगाएगी। वे बस AI से कहेंगे, "मेरे लिए सोचो, मैं थक चुका हूं।"
यह तो तय है कि आने वाली पीढ़ी अपनी सोचने की क्षमता खो देगी। आज हम जो भी काम खुद करते हैं, वह सब AI हमारे लिए करेगा। इस तरह से मेहनत का अंत और AI की तानाशाही की शुरुआत होगी। हमारी सोच अब AI के नियंत्रण में होगी, और हम बस सोफे पर लेट कर AI से कहेंगे, "ऐ ऐस्सी, चिप्स का पैकेट उठा दे।" और फिर वह सब हो जाएगा। सच में, यह हमारी मेहनत के अंत और AI के शासन का आरंभ होगा!
22 मार्च 2025
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