देशभक्ति अब फुल-टाइम जॉब है

विजय शंकर पांडेय


हर 15 अगस्त को 

हरचरना परेड में दिख ही जाता है।

बस अब सुथन्ना थोड़ा मॉडर्न है

जीन्स पर “देशभक्ति” प्रिंट वाली टी-शर्ट।

ढोल वही है, 

उस पर स्पॉन्सर का लोगो चिपका है।

तोप अब असली नहीं, 

एलईडी लाइट वाली—सेल्फी-फ्रेंडली।


वह अब भी गाता है—“भारत भाग्यविधाता”,

पर बीच में रील का इंट्रो और हैशटैग डालकर।

जयकारा भी अब माइक्रोफोन पर, 

ताकि ट्रेंडिंग में आ सके।


उसकी दुनिया बदली है—

गांव के बच्चे अब ढोल की थाप पर नहीं,

डीजे के रिमिक्स पर झूमते हैं।

तोप की गूंज अब पटाखे के इमोजी में समाहित मानी जाती है।


हरचरना अब भी पूरे जोश में है,

पर आंखों में वही पुराना सवाल—

“इस बार भी भाषण के बाद लड्डू मिलेगा?”


उसका तेवर वही है—

बस अब उसकी आवाज़, 

मोबाइल के स्पीकर से आती है।

सड़क वही टूटी फूटी, 

पर उस पर तिरंगा पेंट कर दिया गया है।


भारत भाग्यविधाता शायद अब कुछ ज्यादा ही व्यस्त है,

पर हरचरना निश्चिंत है—

क्योंकि ढोल बजाना, जयकारा लगाना

और फोटो में मुस्कुराना…


देशभक्ति अब उसका फुल-टाइम जॉब है।







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